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#भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध#भारतीय एकता दिवस#भारतीय संस्कृति#भारतीय स्वतंत्रता दिवस का इतिहास#मुस्लिम खिलाफत आंदोलन#स्वतंत्रता दिवस पर जीके प्रश्न

भाषा नबुझ्दा मेक्सिकन आदिवासी महिलाले १२ वर्ष अमेरिकी मानसिक अस्पतालमा बिताउनुपर्‍यो

वास्तव में, मिनहाज में ऐतिहासिक घटनाओं को समझने और उनका विश्लेषण करने की क्षमता थी। उसने सरल भाषा में घटनाओं का क्रमानुसार विवरण दिया है। वह लिखता है कि बादशाहों में ऐसे गुण होने चाहिए, जिससे प्रजा तथा लाव-लश्कर संतुष्ट रह सके; भोग-विलास तथा दुष्टों और दुराचारियों के मेल से राज्य का पतन हो जाता है। फरिश्ता ने तबकात-ए-नासिरी को ‘उच्चकोटि का ग्रंथ’ बताया है। एलफिंस्टन, स्टेवार्ट तथा मार्ले ने भी इसकी प्रशंसा की है। तबकात-ए-नासिरी का अंग्रेजी अनुवाद रेवर्टी ने किया है।

में इसका फारसी से अंग्रेजी में अनुवाद किया है।

प्राचीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत बहुविकल्पीय प्रश्न

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लेकिन लेबर पार्टी के सत्ता में आने के बाद बहरत की आजादी की उम्मीद एक बार फिर जगी साथ ही इधर भारत में स्वतंत्रता आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था.     

के बीच पड़े अकाल और मसुलीपट्टनम में मराठों की घुसपैठ के साथ ही उत्तर में ग्वालियर तक उनके अभियानों के विवरण भी हैं।

देहरादूनकठुआ में हुए आतंकी हमले में उत्‍तराखंड के पांच लाल शहीद, प्रदेश में छाई शोक की लहर, सीएम धामी ने जताया शोक

पेल्सार्ट ने आगरा का बहुत ही रोचक वर्णन किया है। उसने शहर की संरचना, अमीरों और गरीबों के घर, उनके खान-पान, विभिन्न वस्तुओं के बाजार और वहाँ उपलब्ध विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के बारे में लिखा है। उसने तत्कालीन भारतीय नगरों में विकसित उद्योग-धंधों एवं व्यापारिक कार्य-कलापों, विशेषकर गरम मसाले एवं नील व्यवसाय का विस्तार से वर्णन किया है। उसने आगरा को get more info उत्पादन के महत्त्वपूर्ण केंद्रों से जोड़ने वाले सभी मार्गों का उल्लेख किया है। वह गुजरात के कपड़ों की किस्म का विवरण देता है और लाहौर को एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बताता है। उसके अनुसार मुल्तान और थट्टा, वस्त्र उद्योग, चीनी, सल्फर और नील के लिए प्रसिद्ध थे। नील के उत्पादन, और विशेष रूप से बयाना में नील के उत्पादन के बारे में उसका विवरण अद्वितीय है।

भाषा का अर्थ एवं परिभाषा

सुलेमान सौदागर की यात्रा के समय बंगाल में पाल वंश का शासन था। उसने ‘रुहमा’ नामक राज्य और उसकी सैन्य-शक्ति का उल्लेख किया है। सुलेमान ने महानतम् गुर्जर-प्रतिहार शासक मिहिरभोज का भी वर्णन किया है और उसे मुसलमानों का ‘कट्टर शत्रु’ बताया है। सुलेमान ने मिहिरभोज की सेना, विशेषकर घुड़सवार सेना की प्रशंसा की है। इस प्रकार सुलेमान का यात्रा-विवरण तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति जानकारी का बहुमूल्य स्रोत है।

इस्तखरी की दो पुस्तकें मिलती हैं- ‘किताबुल् अक्रालीम’ और ‘किताब अल मसालिक वा-ममालिक’। अपने विवरण में इस्तखरी ने अरब और ईरान के बाद मावरा उन् नहर या ट्रांस काकेशिया, काबुलिस्तान, सिंध और भारत का उल्लेख किया है। उसने भारतीय महासागर का, जिसे वह पारस महासागर कहता है, विस्तारपूर्वक वर्णन किया है।

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